आपदा के आठ दिन बाद केदारनाथ यात्रा फिर शुरू हो गई है। अभी हेली सेवा से ही यात्रा कराई जा रही है। इस कड़ी में पहले दिन 18 तीर्थ यात्रियों ने हेली सेवा से धाम पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन किए।
पैदल मार्ग से जल्द यात्रा शुरू करने के लिए भी युद्धस्तर पर काम हो रहा है। इसके लिए विभिन्न स्थानों पर क्षतिग्रस्त मार्ग को दुरुस्त करने के लिए श्रमिकों की अलग-अलग टुकड़ियां लगाई गई हैं, जो भारी वर्षा और पहाड़ी से लगातार गिर रहे पत्थरों व मलबे के बीच जान हथेली पर रखकर कार्य कर रही हैं। पैदल यात्रा शुरू होने में अभी लगभग एक सप्ताह लग सकता है।
पैदल मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त
31 जुलाई की रात अतिवृष्टि और भूस्खलन होने से केदारनाथ पैदल मार्ग 13 से अधिक स्थानों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। इससे 15 हजार से अधिक तीर्थयात्री धाम और पैदल मार्ग के विभिन्न पड़ावों पर फंस गए थे। प्रशासन ने यात्रा स्थगित करते हुए सभी तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोक दिया था।
बचाव दलों ने दिन-रात काम करके मंगलवार तक लगभग सभी यात्रियों को निकाल लिया था। साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बुधवार से हेली सेवा के जरिये यात्रा शुरू कराने की तैयारी थी। इसके लिए किराये में 25 प्रतिशत की छूट देने की घोषणा भी की गई थी।
केदारनाथ पैदल मार्ग खोलने की राह में चुनौतियों का पहाड़
आपदा में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए केदारनाथ पैदल मार्ग पर आवाजाही सुचारु करने के लिए जोर-शोर से कार्य चल रहा है। लेकिन, श्रमिकों के सामने तमाम चुनौतियां भी हैं।
तेज वर्षा और पहाड़ी से लगातार गिर रहे पत्थरों के बीच उन्हें जान हथेली पर रखकर कार्य करना पड़ रहा है। इससे बार-बार कार्य बाधित भी हो रहा है।बीती 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से केदारनाथ पैदल मार्ग लिनचोली से गौरीकुंड के बीच 13 स्थानों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था।
यह मार्ग खड़ी चट्टानों के ऊपर से गुजरता है, इसलिए पुनर्निर्माण के लिए पहाड़ी पर दीवार बनाना आसान नहीं है। खासकर लिनचोली, भीमबली, चीरबासा, जंगलचट्टी, थारू कैंप, रामबाड़ा आदि स्थानों पर। यहां श्रमिक रस्सियों के सहार पहाड़ी पर खड़े होकर वहां दीवार बना रहे हैं, ताकि मार्ग बनाने के लिए आवाजाही सुचारु की जा सके।
पहाड़ी से लगातार बरस रहे पत्थर
आठ स्थानों पर तो पहाड़ी से लगातार पत्थर बरस रहे हैं, जिससे श्रमिक खौफजदा भी हैं। वहीं, सोनप्रयाग में ध्वस्त हाईवे को बनाने में अभी वक्त लग सकता है। बीते दिनों एनएच लोनिवि ने यहां सड़क बनाने का काम शुरू किया गया, लेकिन दोबारा भूस्खलन होने से स्थिति पूर्ववत हो गई। इसलिए अब सड़क बनाने से पहले एनएच लोनिवि यहां 150 मीटर पैदल रास्ता तैयार करने में जुटा है, ताकि क्षेत्र में पैदल आवाजाही कराई जा सके।
गौरीकुंड हाईवे पर सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच पांच किमी के दायरे में बीती 31 जुलाई से वाहनों का आवाजाही बंद है। इससे खाद्यान्न समेत अन्य जरूरी सामान गौरीकुंड पहुंचाने के लिए भी स्थानीय निवासी व व्यापारियों खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। रास्ता न होने के कारण सबसे बड़ी चुनौती तो गौरीकुंड से सोनप्रयाग पहुंचना ही है।
लोनिवि के अधिशासी अभियंता विनय झिंक्वाण ने बताया कि 400 से अधिक श्रमिक केदारनाथ पैदल मार्ग को सुचारु करने में जुटे हुए हैं। लगातार वर्षा के साथ ही पहाड़ी से पत्थर भी गिर रहे हैं। इससे कार्य में दिक्कत हो रही है। हालांकि, प्रयास यही है कि जल्द से जल्द पैदल मार्ग को सुचारु कर लिया जाए।
फंसे घोड़े-खच्चरों की सुरक्षा के लिए राहत-बचाव कार्य शुरू
पशुपालन विभाग ने पशु क्रूरता निवारण समिति और पीपल फार एनिमल्स उत्तराखंड के साथ मिलकर प्रभावित क्षेत्रों में फंसे पशुओं की सुरक्षा के लिए राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। साथ ही विभाग स्तर से पशुओं के भोजन एवं चारे की व्यवस्था भी की गई। अब तक एक हजार से अधिक फंसे हुए घोड़े-खच्चरों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाया गया है।
इसके अतिरिक्त तीन हजार से अधिक घोड़े-खच्चरों को चारा उपलब्ध कराया गया। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. आशीष रावत ने बताया कि केदारघाटी में आपातकालीन निकासी के लिए हजारों यात्रियों को हेलीकाप्टर के माध्यम से सुरक्षित निकाला गया।
हालांकि मार्ग में कई स्थानों पर घोड़े-खच्चर फंसे हुए हैं। विभाग ने पशु क्रूरता निवारण समिति और पीपल फार एनिमल्स उत्तराखंड के साथ मिलकर उक्त स्थानों पर घोड़े-खच्चरों के लिए चारे की व्यवस्था की है। जिससे सड़क साफ होने तक पशुओं को पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो सके।
कहा कि अतिवृष्टि के बाद भीमबली पुलिस चौकी पर चौकी प्रभारी यशपाल रावत के सहयोग से रामबाड़ा में और नदी पार पुराने रास्ते की और फंसे हुए घोड़ों को पीपल फार एनिमल्स की रेस्क्यू टीम ने सफलता पूर्वक रेस्क्यू किया है। इन पशुओं के मालिकों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि वह केदारनाथ यात्रा मार्ग में अपने घोड़ों का संचालन पुनः कर सकें और साथ ही उन्हें जंगल के रास्ते से सुरक्षित स्थान पर ले जा सकें।
डा. आशीष रावत ने बताया कि इसके साथ ही सभी घायल घोड़ों को पशुपालन विभाग और पीएफए की संयुक्त टीम की ओर से चिकित्सीय सहायता भी प्रदान की जा रही है। बताया कि प्रभावित जानवरों की निरंतर निगरानी व सहायता प्रदान की जा रही है।
धाम में मौजूद 33 श्रद्धालुओं को एमआइ-17 व अन्य हेलीकाप्टर से लाया गया
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ योगेंद्र सिंह ने बताया कि मौसम अनुकूल नहीं होने से बुधवार को हेलीकाप्टर धाम के लिए उड़ान नहीं भर पाए थे। वीरवार को मौसम साफ होने के बाद हेली सेवा से यात्रा शुरू हुई।
हेली सेवा से धाम में राशन व अन्य आवश्यक सामग्री भी पहुंचाई गई। इस बीच धाम में मौजूद 33 श्रद्धालुओं को भी एमआइ-17 व अन्य हेलीकाप्टर से शेरसी और चारधाम हेलीपैड लाया गया।
पैदल मार्ग को दुरुस्त किया जा रहा है। गौरीकुंड से सोनप्रयाग के बीच केदारनाथ हाईवे का भी 150 मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त है।
बीते दिनों एनएच लोनिवि ने यहां सड़क बनाना शुरू किया, मगर दोबारा भूस्खलन होने से मुश्किलें पैदा हो गईं। अब सड़क से पहले पैदल रास्ता तैयार किया जा रहा है, ताकि इस क्षेत्र में पैदल आवाजाही कराई जा सके।