लखनऊ निवासी कारोबारी ने भारतीय टीम के पूर्व ऑलराउंडर मनोज प्रभाकर और उनके बेटे के खिलाफ हल्द्वानी कोतवाली में धोखाधड़ी के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई है। कारोबारी का कहना है कि वह उत्तर प्रदेश में पूर्व क्रिकेटर की कंपनी के हर्बल उत्पादों की मांग के हिसाब से आपूर्ति करता था।
बिक्री पर उसे कमीशन मिलता था, लेकिन कंपनी के अचानक बंद होने की वजह से उसकी 11 लाख से अधिक की रकम फंस गई। अब कई बार कोशिश के बावजूद प्रभाकर और उसके बेटे से संपर्क नहीं हो पा रहा। लखनऊ के पुरानी सब्जी मंडी चौक निवासी नीरज कुमार शुक्ल की एनएस सेल्स नाम से फर्म है। नीरज के अनुसार, जुलाई 2017 में हल्द्वानी स्थित नेचुरेंस रिसर्च लैब प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के साथ अनुबंध किया।
नेचुरेंस हर्बल के नाम भी कंपनी करती है काम
कंपनी नेचुरेंस हर्बल के नाम से भी काम करती थी। इसके प्रबंध निदेशक पूर्व क्रिकेटर मनोज प्रभाकर थे। अनुबंध के तहत उसे उत्तर प्रदेश में झांसी से लेकर गोरखपुर क्षेत्र तक का सुपर डिस्ट्रीब्यूटर नामित किया गया। मुख्य स्टाकिस्ट के रूप में कंपनी के निर्देशानुसार उसे केवल बताई जगहों पर माल भिजवाना था। मार्केटिंह, डिमांड लाना और पेमेंट निकलवाने का काम कंपनी के प्रतिनिधियों का था।
पुलिस ने दर्ज की शिकायत
शिकायतकर्ता ने पुलिस को सौंपी तहरीर में कहा कि दिसंबर 2023 में सेल्स से जुड़े अधिकांश स्टाफ को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जिस वजह से कारोबार प्रभावित होने लगा। इस पर उसने कई बार मनोज प्रभाकर और उनके बेटे रोहन से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। वर्तमान में उसके पास नेचुरेंस हर्बल का 3,21,601 रुपये, नेचुरेंस रिसर्च लैब का 2,78,938 और रिप्लेसमेंट स्टाक के तौर पर 1,53,920 के उत्पाद डंप पड़े हैं।
जबकि अलग-अलग डिस्ट्रीब्यूटर के ऊपर 3,90,227 रुपये की उधारी चढ़ चुकी है। दूसरी ओर बाजार में कंपनी के बंद होने की बात फैलने की वजह से न माल बिक रहा और न उधारी के रुपये मिल रहे हैं। सीओ नितिन लोहनी का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।