बहन-भाई का त्योहार रक्षाबंधन
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बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है। सदाबहार फिल्मी गीतों को भले ही लोग सुबह से घरों में म्यूज़िक प्लेयर पर बजा रहे हैं। लेकिन बहन-भाई के स्नेह और प्रेम के पर्व राखी पर इस बार भद्रा का साया है। इसलिए रक्षा का बंधन यानी राखी रात 9.02 बजे से ही मुहूर्त के अनुसार मनाई जाएगी।
आज और कल पूर्णिमा तिथि दो दिन की होने के कारण रक्षाबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। जिसे धर्म शास्त्रियों और पुजारी परिषद में स्पष्ट कर दूर कर दिया है। शास्त्र के अनुसार उदित तिथि को ही श्रेष्ठ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि आज 30 अगस्त को शुरू होकर 31 अगस्त सूर्योदय तक रहेगी। ज्योतिषियों के मत अनुसार 30 अगस्त को राखी पर भद्रा लगी हुई है। रात 9 बजे भद्रा समाप्ति के बाद रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। जयपुर समेत प्रदेशभर के मंदिरों में भी रक्षाबंधन आज ही मनाया जाएगा। इसके बाद शयन आरती होगी।
आज रात 9:02 बजे बाद बांधे राखी, संस्कृत विश्वविद्यालय में पंडित परिषद का निर्णय
श्रावणी उपाकर्म और रक्षाबंधन पर्व को लेकर पंचांगों में गणितीय मानों की भिन्नता के कारण 30 या 31 अगस्त को लेकर समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इस पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में बुधवार को कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे की अध्यक्षता में विद्वानों की बैठक हुई। विश्वविद्यालय प्रवक्ता शास्त्री कोसलेंद्रदास ने बताया कि वैदिक सनातन धर्म के अंतर्गत किसी भी व्रत या पर्व का निर्णय आकाशीय ग्रह पिंडों की गति स्थिति से प्राप्त मानों की परिगणना करते हुए धर्मशास्त्र में निर्दिष्ट व्यवस्था के अंतर्गत होता है। श्रावण की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला उपाकर्म और रक्षाबंधन महत्वपूर्ण पर्व है।
इस वर्ष पूर्णिमा का मान 30 अगस्त को पूर्वाह्न से आरंभ होकर 31 अगस्त तक रहेगा। 31 अगस्त को 6 घटी से न्यून होने के कारण समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लोग अपने—अपने तर्कों से 31 अगस्त को रक्षाबंधन मनाने का निर्णय दे रहे हैं, जो धर्मशास्त्र के आधार पर ठीक नहीं है। इसलिए समाज में फैले भ्रम के निवारण के लिए विद्वानों ने राजस्थान में प्रचलित विविध पंचांगों में वर्णित पूर्णिमा के मानों का परीक्षण किया। इसके अनुसार 30 तारीख को सुबह 10:59 के बाद उपाकर्म और रात 9:02 बजे के बाद रक्षाबंधन करना शास्त्रसम्मत है।
धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु ग्रंथों के रक्षाबंधन और उपाकर्म सम्बन्धी उद्धरणों का उल्लेख
कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे की अध्यक्षता में धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु आदि ग्रंथों के रक्षाबंधन और उपाकर्म सम्बन्धी उद्धरणों का उल्लेख करते हुए निर्णय लिया गया है। कुलपति प्रो. दुबे ने कहा कि यदि पूर्णिमा का मान दो दिन हो रहा हो और प्रथम दिन सूर्योदय के एकादि घटी के बाद पूर्णिमा का आरंभ होकर द्वितीय दिन पूर्णिमा 6 घटी से कम है तो पूर्व दिन भद्रा से रहित काल में रक्षाबंधन करना चाहिए। पूर्णिमा यदि प्रतिपदा से युक्त होकर 6 घटी से न्यून हो, तो उसमें रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए। इस वर्ष 31 अगस्त को पूर्णिमा 6 घटी से कम है तथा 30 अगस्त को 9:02 बजे तक भद्रा है। इसलिए 30 अगस्त को ही रात में भद्रा के बाद रक्षाबंधन करना शास्त्रसम्मत है। क्योंकि रात्रिकाल में भी रक्षाबंधन करने का विधान है।
प्रो. दुबे ने बताया कि श्रावण पूर्णिमा को उपाकर्म भी होता है। शुक्ल यजुर्वेदीय लोगों को श्रावणी उपाकर्म 30 अगस्त को करना चाहिए। उपाकर्म में भद्रा दोष नहीं लगता। इसलिए 30 अगस्त को ही सुबह 10:59 के बाद उपाकर्म और रात 9:02 बजे के बाद रक्षाबंधन करना शास्त्रसम्मत है। बैठक में व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ. राजधर मिश्र, शिक्षा विभागाध्यक्ष डॉ. माताप्रसाद शर्मा, ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. कैलाश शर्मा, साहित्य विभागाध्यक्ष डॉ. मधुबाला शर्मा, दर्शन विभागाध्यक्ष शास्त्री कोसलेंद्रदास और वेद विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र शर्मा सहित शामिल हुए।
पंडितों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पूर्णिमा तिथि 31 अगस्त को बहुत ही कम समय के लिए है। इसलिए 30 अगस्त को रात में ही शुभ मुहूर्त में राखी बांधना उचित है। भद्रा दोष होने पर दिन में राखी नहीं बांधी जा सकती है। इसलिए भद्रा समाप्त होने के बाद रात में राखी बांधना शुभ है। आज के दिन धनिष्ठा नक्षत्र भी है। इसलिए रात 9.02 से 11.13 बजे तक कुल 2 घंटे 10 मिनट ही रक्षा सूत्र बंधवाने और बांधने का श्रेष्ठ मुहूर्त है।
पूर्णिमा तिथि और रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 30 अगस्त सुबह 10.58 बजे से
रक्षाबंधन प्रदोष काल- रात 9.01 से 9.05 तक
भद्रा समाप्ति 30 अगस्त रात 9.01 बजे
रक्षाबंधन मुहूर्त रात 9.02 से 11.13 बजे तक